-
शीर्ष समाचार |
-
मेरा शहर |
- महाकुंभ |
- मेरा गुजरात |
- मनोरंजन |
- भारत |
- खेल |
-
टेक |
-
गैजेट्स |
-
इनोवेशन |
-
सॉफ्टवेयर और ऐप्स |
-
एजुकेशन |
- दुनिया |
- More
- Game/खेल
अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली की अपनी सीट प्रवेश वर्मा से कैसे हार गए? जानिए अहम कारण
- Repoter 11
- 10 Feb, 2025
दिल्ली
की
राजनीति में
एक
बड़ा
उलटफेर
देखने
को
मिला
जब
आम
आदमी
पार्टी
(AAP) के
प्रमुख
और
दिल्ली
के
मुख्यमंत्री अरविंद
केजरीवाल नई
दिल्ली
सीट
से
भारतीय
जनता
पार्टी
(BJP) के
उम्मीदवार प्रवेश
वर्मा
से
हार
गए।
यह
हार
न
केवल
आम
आदमी
पार्टी
के
लिए
बल्कि
उनके
समर्थकों के
लिए
भी
एक
बड़ा
झटका
साबित
हुई।
इस
लेख
में
हम
उन
प्रमुख
कारणों
का
विश्लेषण करेंगे
जिनकी
वजह
से
केजरीवाल को
हार
का
सामना
करना
पड़ा।
1.
भ्रष्टाचार के आरोप और जेल की सजा
अरविंद
केजरीवाल को
दिल्ली
की
कथित
शराब
नीति
घोटाले
में
फंसाया
गया
था,
जिसके
चलते
उन्हें
कई
महीनों
तक
जेल
में
रहना
पड़ा।
यह
मुद्दा
बीजेपी
के
लिए
एक
बड़ा
चुनावी
हथियार
बन
गया।
भाजपा
ने
इसे
'कट्टर
ईमानदार' नेता
की
छवि
को
धूमिल
करने
के
लिए
इस्तेमाल किया,
जिससे
केजरीवाल की
विश्वसनीयता पर
सवाल
उठे।
विपक्ष
ने
बार-बार यह प्रचार
किया
कि
आम
आदमी
पार्टी
भ्रष्टाचार में
लिप्त
है,
जिससे
कई
मतदाता
उनसे
दूर
हो
गए।
2.
भाजपा की आक्रामक रणनीति और मोदी फैक्टर
बीजेपी
ने
इस
चुनाव
को
'मोदी
बनाम
केजरीवाल' बना
दिया
और
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
की
लोकप्रियता को
भुनाने
में
कोई
कसर
नहीं
छोड़ी।
भाजपा
ने
दिल्ली
में
हर
गली-मोहल्ले तक अपनी पकड़
मजबूत
की
और
‘मोदी
की
गारंटी’
के
नाम
पर
जनता
का
विश्वास जीता।
प्रधानमंत्री मोदी
की
रैलियों और
बीजेपी
नेताओं
के
प्रचार
अभियान
ने
आम
आदमी
पार्टी
के
समर्थन
आधार
को
कमजोर
कर
दिया।
3.
मिडिल क्लास और ट्रेडर्स का समर्थन खोना
नई
दिल्ली
क्षेत्र में
बड़ी
संख्या
में
मध्यम
वर्गीय
परिवार
और
व्यापारिक समुदाय
के
लोग
रहते
हैं।
पहले,
आम
आदमी
पार्टी
को
इस
वर्ग
का
समर्थन
मिला
था,
लेकिन
इस
बार
यह
वोट
बैंक
भाजपा
की
ओर
शिफ्ट
हो
गया।
भाजपा
ने
व्यापारियों के
मुद्दों को
प्रमुखता से
उठाया
और
छोटे
व्यापारियों को
राहत
देने
के
लिए
नई
योजनाओं का
वादा
किया,
जिससे
भाजपा
को
इस
वर्ग
का
भरपूर
समर्थन
मिला।
4.
महिला और वरिष्ठ नागरिक मतदाताओं का भाजपा की ओर झुकाव
बीजेपी
ने
दिल्ली
की
महिलाओं और
वरिष्ठ
नागरिकों के
लिए
कई
लोकलुभावन योजनाओं की
घोषणा
की।
‘लाडली
बहना
योजना’
और
‘मुफ्त
राशन
योजना’
जैसी
घोषणाओं ने
महिलाओं के
बीच
भाजपा
की
पकड़
मजबूत
कर
दी।
इस
चुनाव
में
यह
देखा
गया
कि
महिलाओं और
वरिष्ठ
नागरिकों ने
बड़ी
संख्या
में
भाजपा
के
पक्ष
में
मतदान
किया,
जिससे
आम
आदमी
पार्टी
को
नुकसान
हुआ।
5.
‘शीशमहल’ विवाद – मुख्यमंत्री आवास पर खर्च
चुनाव
से
पहले
यह
खबर
आई
थी
कि
अरविंद
केजरीवाल ने
अपने
सरकारी
आवास
के
नवीनीकरण पर
करीब
45 करोड़
रुपये
खर्च
किए
थे।
भाजपा
ने
इस
मुद्दे
को
जोर-शोर से उठाया
और
इसे
'शीशमहल'
नाम
दिया।
दिल्ली
की
जनता
को
यह
संदेश
दिया
गया
कि
आम
आदमी
पार्टी
भी
वैसी
ही
है
जैसी
पुरानी
पार्टियां थीं,
जो
जनता
के
पैसों
का
दुरुपयोग करती
हैं।
इस
मुद्दे
का
असर
भी
चुनावी
परिणामों में
देखने
को
मिला।
6.
आप नेताओं की गिरफ़्तारी और पार्टी का कमजोर नेतृत्व
आम
आदमी
पार्टी
के
कई
बड़े
नेता,
जैसे
कि
मनीष
सिसोदिया और
संजय
सिंह,
कानूनी
मामलों
में
फंस
गए
और
जेल
में
रहे।
इससे
पार्टी
का
चुनावी
अभियान
कमजोर
पड़ा।
बीजेपी
ने
इसे
भ्रष्टाचार के
खिलाफ
कार्रवाई बताया,
जबकि
आप
इसे
साजिश
कहती
रही।
लेकिन
इसका
असर
आम
जनता
पर
पड़ा
और
कई
समर्थकों ने
भाजपा
की
ओर
रुख
कर
लिया।
Leave a Reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *

